Udaas Shayari – Kabhi Kabhi To Chhalak Padti Hain
कभी कभी तो छलक पड़ती हैं यूँही आँखें
उदास होने का कोई सबब नहीं होता
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कभी कभी तो छलक पड़ती हैं यूँही आँखें
उदास होने का कोई सबब नहीं होता
बेहिसाब हसरतों के बीच,
तलाश सब की एक ही है
एक टुकड़ा सुकून का।
बंद अलमारी में पुस्तकों ने आत्महत्या कर ली,
और सुसाइड नोट में आरोपी का नाम “मोबाइल” लिखा !
दिल ना-उमीद तो नहीं नाकाम ही तो है
लम्बी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है
~ फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
हैरान हूँ मैं ख़ुद, अपने सब्र का पैमाना देखकर…*💕💕
*उसने याद नहीं किया, और मैंने इंतज़ार नहीं छोड़ा….!!!!* 💕💕
लम्हों का इश्क नहीं…..सदियों की इबादत है..!🌷
🌷कैसे करे शिकायत…हर साँस को तेरी चाहत है..!!
मुझसे नहीं कटती अब
ये उदास रातें.,
कल सूरज से कहूँगी …
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मुझे साथ लेकर डूबे.!!
एक ही ज़ख्म नही पूरा वजूद ही जख़्मी है…….!!
कमबख्त,दर्द भी हैरान है आखिर उठे तो उठे कहाँ से……!!
काँपते हाथों से बंद किये थे कभी किवाड़ जिसके,
देख तेरा वही टूटता मकान हूँ मैं..!!
मै घर मे बैठकर पढता रहा सफर की दुआ
उसके वास्ते … जो मुझसे दूर जा रही थी