2 Line Shayari – रफ़्ता-रफ़्ता मेरी जानिब, मंज़िल बढ़ती

रफ़्ता-रफ़्ता मेरी जानिब, मंज़िल बढ़ती आती है,
चुपके-चुपके मेरे हक़ में, कौन दुआएं करता है।


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