यकीन और दुआ नजर नही आते मगर,
नामुमकिन को मुमकिन बना देते है
यकीन और दुआ नजर नही आते मगर,
नामुमकिन को मुमकिन बना देते है
कोशिश कर हल निकलेगा
आज नहीं तो कल निकलेगा ।
अर्जुन के तीर सा निशाना साध ,
जमीन से भी जल निकलेगा ।
मेहनत कर पौधो को पानी दे ,
बंजर जमीन से फल निकलेगा ।
ताकत जुटा हिम्मत को आग दे ,
फौलाद का भी बल निकलेगा ।
जिन्दा रख दिल में उम्मीदों को
समंदर से भी गंगाजल निकलेगा ।
कितने गम दिये मैंने, कितनी खुशी दी तुमने,
मार्च का महीना आ गया है आ तू भी हिसाब कर ले…!
बेटा: पापा ये साढू भाई का कौन सा रिश्ता है?
पापा: जब दो अंजान व्यक्ति एक ही कंपनी द्वारा ठगे जाते है तो आपस मे साढू कहलाते है। 😉
जब भी होती है गुफ्तगु खुद से..
तेरा जिक्र जरूर आता है…!!
उड़ती थी जो मुँह तक आज लिपटी है पाँव से
ज़रा सी बारिश क्या हुई मिट्टी की फितरत बदल गई