4 Lines Hindi Poetry – Ek Muddat Se Mere Haal Se Begana Hai
Ek Muddat Se Mere Haal Se Begana Hai,
Jane Zalim Ne Kis Baat Ka Bura Mana Hai,
Mein Jo Ziddi Hoon Tu Wo Bhi Hai Ana Ka Qaidi,
Mere Kehne Per Kahan Us Ne Chale Aa Na Hai..
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Ek Muddat Se Mere Haal Se Begana Hai,
Jane Zalim Ne Kis Baat Ka Bura Mana Hai,
Mein Jo Ziddi Hoon Tu Wo Bhi Hai Ana Ka Qaidi,
Mere Kehne Per Kahan Us Ne Chale Aa Na Hai..
ये धुंधला अक्स, ये आइना बेगाना..
मेरे अन्दर मैं, जैसे एक गुज़रा ज़माना..!!
दुनिया ने तेरी याद से बेगाना कर दिया
तुझ से भी दिल-फ़रेब हैं ग़म रोज़गार के
आपकी अदाओं ने बनाया है इस कदर दीवाना
तभी तो बेगाना लगता है सारा जमाना।
काँटों से गुज़र जाता हूँ, दामन को बचा कर,
फ़ूलों की सियासत से बेगाना नहीं हूँ मैं…!!
अजनबी है लोग यहाँ पर अजनबी जमाना,
सोचा साया साथ देगा निकला तो बेगाना।
मतलबी लोग यहाँ, मतलबी जमाना
सोचा साया साथ देगा
निकला वो भी बेगाना
मंजिलों से बेगाना आज भी सफ़र मेरा…
रात बेसहर मेरी दर्द बेअसर मेरा…
दुनिया ने तेरी याद से बेगाना कर दिया
तुझ से भी दिल-फ़रेब हैं ग़म रोज़गार के
तेरी हर अदा में कोई बात है,
दिवाना सा हुआ जाता हूँ।
हर किसी को तुम में देखता हूँ,
मैं खुद से बेगाना हुआ जाता हूँ।