2 Line Shayari – रफ़्ता-रफ़्ता मेरी जानिब, मंज़िल बढ़ती

रफ़्ता-रफ़्ता मेरी जानिब, मंज़िल बढ़ती आती है,
चुपके-चुपके मेरे हक़ में, कौन दुआएं करता है।


Two Lines Shayari – जिस दिन से चला हूँ मेरी मंज़िल पे

जिस दिन से चला हूँ मेरी मंज़िल पे नज़र है 
आँखों ने अभी मील का पत्थर नहीं देखा


Manzil Hindi Shayari – हर सपने को अपनी साँसों

हर सपने को अपनी साँसों में रखे
हर मंज़िल को अपनी बाहों में रखे
हर जीत आपकी ही है,
बस अपने लक्ष्य को अपनी निगाहों में रखे!


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