परीक्षा हमेशा अकेले में होती हैं..लेकिन उसका परिणाम सबके सामने होता है..।
इसलिए कोई भी कर्म करने से पहले परिणाम पर जरूर विचार करें …।।
🙏सुभप्रभात🙏
परीक्षा हमेशा अकेले में होती हैं..लेकिन उसका परिणाम सबके सामने होता है..।
इसलिए कोई भी कर्म करने से पहले परिणाम पर जरूर विचार करें …।।
🙏सुभप्रभात🙏
औरत की ताकत
एक रात प्रेसिडेंट ओबामा अपनी पत्नी मिशेल के साथ कैज़ुअल डिनर पर एक होटल गए। होटल मालिक ने सीक्रेट सर्विस कमांडोज़ से मिसेज ओबामा से बात करने की रिक्वेस्ट की।मिशेल होटल मालिक से मिली बात की।
जब लौट कर आईं तो ओबामा ने मिशेल से पुछा कौन है क्या कह रहा था तुमसे बात करने में इतना इंट्रेस्टेड क्यों था। मिशेल ने कहा टीनऎज दौर में वो मुझको पागलों की तरह बेइंतिहां चाहता था।
राष्ट्रपति ओबामा बोले अगर तुम इससे शादी कर लेतीं तो इस खूबसूरत होटल की मालकिन होतीं।
मिसेज ओबामा मिशेल ने बेहतरीन जवाब दिया- बोलीं नहीं अगर मैं इससे शादी कर लेती तब तुम्हारी जगह ये अमेरिका का राष्ट्रपति होता।
(power of women) – Hindi Short Inspirational Story
Hindi Suvichar Anmol Vachan On Anger – Hindi Mein Suvichar Krodh Par :
❓क्या आपको पता है….❓
😡क्रोध का पूरा खानदान है..😡
क्रोध की एक लाडली बहन है
II ज़िद ॥
क्रोध की पत्नी है
॥ हिंसा II
क्रोध का बडा भाई है
॥ अंहकार ॥
क्रोध का बाप जिससे वह डरता है
॥ भय ॥
क्रोध की बेटिया हैं
॥ निंदा और चुगली ॥
क्रोध का बेटा है
॥ बैर ॥
इस खानदान की नकचडी बहू है
॥ ईर्ष्या॥
क्रोध की पोती है
॥ घृणा ॥
क्रोध की मां है
॥ उपेक्षा ॥
और क्रोध का दादा है
॥ द्वेष ॥
तो इस खानदान से हमेशा दूर रहें और हमेशा खुश रहो।
इस मेसज को आगे भेजकर सबको इस खानदान के बारे जानकारी दे।
🙏धन्यवाद 🙏
अब रिस्ते टूटता है तो टूटे अब अपने रूठते है तो रूठे
अब जग छूटता है तो छूटे हम अपने लक्ष की और अग्रसर
अब न रुकेंगे, अब न झुकेंगे,
अब समंदर मे उफा आता है तो आए अब रास्ते मे तूफा आता है तो आए,
हम अपने लक्ष की और अग्रसर , अब न रुकेंगे अब न झुकेंगे,
अब सपने टूटते है तो टूटे अब यारो का महफ़िल छूटता है तो छूटे
हम अपने लक्ष की और अग्रसर अब न रुकेंगे अब न झुकेंगे,
अब गांव की गालिया छूटती है तो छुटे,अब बड़ो का अधिकार बच्चो का
प्यार छुटता है तो छुटे, हम अपने लक्ष की और अग्रसर अब न रुकेंगे अब न झुकेंगे,
अब रस्ते कितना भी बदलना पड़े बदलेंगे, अब रास्ता कितना भी लंबा हो
तय करेंगे पर, हम अपने लक्ष की और अग्रसर अब न रुकेंगे अब न झुकेंगे
Submitted By: Abhinav Jha
मैंने हर रोज जमाने को रंग बदलते देखा है ..
उम्र के साथ जिंदगी को ढंग बदलते देखा है .. !!
वो जो चलते थे तो शेर के चलने का होता था गुमान ..
उनको भी पाँव उठाने के लिए सहारे को तरसते देखा है .. !!
जिनकी नजरों की चमक देख सहम जाते थे लोग ..
उन्ही नजरों को बरसात की तरह रोते देखा है .. !!
जिनके हाथों के जरा से इशारे से टूट जाते थेपत्थर ..
उन्ही हाथों को पत्तों की तरह थर थर काँपते देखा है .. !!
जिनकी आवाज़ से कभी बिजली के कड़कने का होता था भरम ..
उनके होठों पर भी जबरन चुप्पी का ताला लगा देखा है .. !!
ये जवानी ये ताकत ये दौलत सब कुदरत की इनायत है ..
इनके रहते हुए भी इंसान को बेजान हुआ देखा है .. !!
अपने आज पर इतना ना इतराना मेरे यारों ..
वक्त की धारा में अच्छे अच्छों को मजबूर हुआ देखा है .. !!
कर सको तो किसी को खुश करो दुःख देते तो हजारों को देखा है.
ऐ “सुख” तू कहाँ मिलता है
क्या तेरा कोई पक्का पता है
क्यों बन बैठा है अन्जाना
आखिर क्या है तेरा ठिकाना।
कहाँ कहाँ ढूंढा तुझको
पर तू न कहीं मिला मुझको
ढूंढा ऊँचे मकानों में
बड़ी बड़ी दुकानों में
स्वादिष्ट पकवानों में
चोटी के धनवानों में
*वसीयत और नसीहत*
एक दौलतमंद इंसान ने अपने बेटे को वसीयत देते हुए कहा,
*”बेटा मेरे मरने के बाद मेरे पैरों में ये फटे हुऐ मोज़े (जुराबें) पहना देना, मेरी यह इक्छा जरूर पूरी करना ।*
पिता के मरते ही नहलाने के बाद, बेटे ने पंडितजी से पिता की आखरी इक्छा बताई ।
*पंडितजी ने कहा: हमारे धर्म में कुछ भी पहनाने की इज़ाज़त नही है ।*
पर बेटे की ज़िद थी कि पिता की आखरी इक्छ पूरी हो ।
बहस इतनी बढ़ गई की शहर के पंडितों को जमा किया गया, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला ।
*इसी माहौल में एक व्यक्ति आया, और आकर बेटे के हाथ में पिता का लिखा हुअा खत दिया, जिस में पिता की नसीहत लिखी थी*
“मेरे प्यारे बेटे”
*देख रहे हो..? दौलत, बंगला, गाड़ी और बड़ी-बड़ी फैक्ट्री और फॉर्म हाउस के बाद भी, मैं एक फटा हुअा मोजा तक नहीं ले जा सकता ।*
*एक रोज़ तुम्हें भी मृत्यु आएगी, आगाह हो जाओ, तुम्हें भी एक सफ़ेद कपडे में ही जाना पड़ेगा ।*
*लिहाज़ा कोशीष करना,पैसों के लिए किसी को दुःख मत देना, ग़लत तरीक़े से पैसा ना कमाना, धन को धर्म के कार्य में ही लगाना ।*
*क्यूँकि अर्थी में सिर्फ तुम्हारे कर्म ही जाएंगे”।*
*इसको गोर से पढ़ो दोस्तों*
इन्सान फिर भी धन की लालसा नहीं छोड़ता, भाई को भाई नहीं समझता, इस धन के कारण भाई मां बाप सबको भूल जाता है अंधा हो जाता है
दिल में “बुराई” रखने से बेहतर है, कि “नाराजगी” जाहिर कर दो ।
कैसे हो पायेगी.. अच्छे इंसान की पहचान दोनो ही नकली हो गए है आँसू और मुस्कान…
वक़्त दिखाई नहीं देता हैं, पर दिखा बहुत कुछ देता हैं ।
हर किसी की निंदा सुन लो लेकिन अपना निर्णय गुप्त रखो।
इंसान ख़ुद की नज़र में सही होना चाहिए.. दुनिया तो भगवान से भी दुखी है..
किसी के साथ कभी ऐसी
बहस मत करो ,
कि बहस तो जीत जाओ
मगर रिश्ता हार जाओ…
यकीन और दुआ नजर नही आते मगर,
नामुमकिन को मुमकिन बना देते है