खुदा भी जहाँ आकर रूठ जाया करता है !
साथी भी जहाँ आकर छूट जाया करता है
इतने गुरूर-ए-हुस्न को देखकर,
दिल तो क्या पत्थर भी टूट जाया करता है !
-Abhishek Nauputra
खुदा भी जहाँ आकर रूठ जाया करता है !
साथी भी जहाँ आकर छूट जाया करता है
इतने गुरूर-ए-हुस्न को देखकर,
दिल तो क्या पत्थर भी टूट जाया करता है !
-Abhishek Nauputra
वैसे तो एक आँसू बहाकर मुझे ले जाए
ऐसे कोई तूफ़ान हिला भी नहीं सकता
तू छोड़ रहा है तो ख़ता इसमें तेरी क्या
हर शख़्स मेरा साथ निभा भी नहीं सकता