सच्चाई के आईने काले हो गये,
बुजदिलों के घर मेँ उजाले हो गए।
झूठ बाजार मेँ बेखौफ बिकता रहा,
मैंने सच कहा तो जान के लाले हो गए!
सच्चाई के आईने काले हो गये,
बुजदिलों के घर मेँ उजाले हो गए।
झूठ बाजार मेँ बेखौफ बिकता रहा,
मैंने सच कहा तो जान के लाले हो गए!
एक समंदर जो मेरे काबू में है
और इक कतरा है जो संभलता नही,
एक जिंदगी है जो तुम्हारे बगैर बितानी है
और इक लमहा है जो गुजरता नहीं ।