हद से बढ़ जाये ताल्लुक तो ग़म मिलते हैं ।
हम इसी वास्ते हर शख्स से कम मिलते हैं ।
हद से बढ़ जाये ताल्लुक तो ग़म मिलते हैं ।
हम इसी वास्ते हर शख्स से कम मिलते हैं ।
ना ऊँच नीच में रहू ना जात पात में रहूँ !!!!
तु मेरे दिल में रहे प्रभु और में औक़ात में रहूँ !!
रात भर की उदासियों के बाद,
ये भी एक हुनर ही मानो,
कि हम,
हर सुबह एक बार फिर से जिंदगी सँवार लेते हैं …!
वक़्त ने ज़रा सी करवट क्या ली
गैरो की लाइन में सबसे आगे पाया अपनों को !!!!!
मैं क्या जानूँ दर्द की कीमत ?
मेरे अपने मुझे मुफ्त में देते हैं !
दाग तेरे दामन के धुले ना धुले !!
नेकिया तेरी तराजू में तुले न तुले !!
आज ही गुनाहों से कर ले तोबा !!
ख़ुदा जाने कल तेरी आँख खुले ना खुले !!
समझौतों की भीड़-भाड़ में सबसे रिश्ता टूट गया,
इतने घुटने टेके हमने आख़िर घुटना टूट गया…
सिमटते जा रहें हैं दिल और ज़ज्बात के रिश्ते…..
सौदा करने मे जो माहिर है, बस वही धनवान है…..!!!
इसलिए खामोश रह के उम्र पूरी काट दी…
ज़िन्दगी तुझसे बहस का फायदा कोई नहीं…
बदला हुआ वक़्त है, ज़ालिम ज़माना है..
यहां मतलबी रिश्ते है, फिर भी निभाना है..!