जब लगा था तीर तब इतना दर्द न हुआ
ज़ख्म का एहसास तब हुआ
जब कमान देखी अपनों के हाथ में……
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Zakhm Hindi Shayari – तुमने तीर चलाया तो कोई
तुमने तीर चलाया तो कोई बात न थी,
ज़ख्म मैंने जो दिखाया तो बुरा मान गए…?
Zakhm Hindi Shayari – जीवन में ज़ख्म बड़े नहीं
जीवन में ज़ख्म बड़े नहीं होते हैं;
उनको भरने वाले बड़े होते हैं;
रिश्ते बड़े नहीं होते हैं;
लेकिन रिश्तों को निभाने वाले बड़े होते हैं।
Zakhm Hindi Shayari – मरहम की ज़रूरत नही है
मरहम की ज़रूरत नही है मुझे,
ज़ख्म देकर कम से कम हाल तो पूछ लिया करो…
Zakhm Hindi Shayari – ये दिल हर ज़ख्म सहन
ये दिल हर ज़ख्म सहन कर सकता था
पता नही तुम्हारे दिए हुए ज़ख्म क्यों नही सह पाया
Zakhm Hindi Shayari – ज़ख्म हज़ारो है सीने में
ज़ख्म हज़ारो है सीने में एक दिन तो भर जायेगे
आँखों से भी मत पूछना ये अश्क किसने दिए
नहीं तो कई अपने बिछड़ जायेंगे
Zakhm Hindi Shayari – ज़ख्म ताज़ा हैं अभी यूँ
ज़ख्म ताज़ा हैं अभी यूँ न लगाओ मरहम
दर्द बढ़ जाता है कुछ और भी सहलाने से..
Zakhm Hindi Shayari – बैठ कर उदास लम्हों में
बैठ कर उदास लम्हों में ये सोचता हूँ
दुश्मनी भी नही किसी से फिर ज़ख्म गहरे क्यों हुए
Zakhm Hindi Shayari – काश बनाने वाले ने दिल
काश बनाने वाले ने दिल कांच के बनाये होते
तोड़ने वाले के हाथ में ज़ख्म तो आये होते
Zakhm Hindi Shayari – मेरी चाहत को मेरे हालात
मेरी चाहत को मेरे हालात के तराजू में कभी मत तोलना,
मैंने वो ज़ख्म भी खाए है जो मेरी किस्मत में नहीं थे.