Best Shayari In 2 Lines – मगर शाम ही तो है
दिल ना-उमीद तो नहीं नाकाम ही तो है
लम्बी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है
~ फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
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दिल ना-उमीद तो नहीं नाकाम ही तो है
लम्बी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है
~ फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
हैरान हूँ मैं ख़ुद, अपने सब्र का पैमाना देखकर…*💕💕
*उसने याद नहीं किया, और मैंने इंतज़ार नहीं छोड़ा….!!!!* 💕💕
मुझसे नहीं कटती अब
ये उदास रातें.,
कल सूरज से कहूँगी …
.
.
मुझे साथ लेकर डूबे.!!
एक ही ज़ख्म नही पूरा वजूद ही जख़्मी है…….!!
कमबख्त,दर्द भी हैरान है आखिर उठे तो उठे कहाँ से……!!
काँपते हाथों से बंद किये थे कभी किवाड़ जिसके,
देख तेरा वही टूटता मकान हूँ मैं..!!
मै घर मे बैठकर पढता रहा सफर की दुआ
उसके वास्ते … जो मुझसे दूर जा रही थी
सिर्फ़ धोखा ही #शुद्ध मिलता है
इस ज़माने में , साहिब बाक़ी तो सब में #मिलावट है ..
आज इक और बरस बीत गया उस के बग़ैर
जिस के होते हुए होते थे ज़माने मेरे ।