Barsaat Hindi Shayari – बरसात आये तो ज़मीन गीली
बरसात आये तो ज़मीन गीली न हो,धूप आये तो सरसों पीली न हो,
तूने यह कैसे सोच लिया कि, तेरी याद आये और पलकें गीली न हों
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बरसात आये तो ज़मीन गीली न हो,धूप आये तो सरसों पीली न हो,
तूने यह कैसे सोच लिया कि, तेरी याद आये और पलकें गीली न हों
बात दिन की नहीं अब रात से डर लगता है
घर है कच्चा मेरा, बरसात से डर लगता है
आँख भर आई किसी से जो मुलाक़ात हुई
ख़ुश्क मौसम था मगर टूट के बरसात हुई
मोहब्बत भी चाहते हो और वफा भी,
जनाब आप तो धुएं के बादलो से बरसात मांग रहे हो…..!!
दर्द मिट्टी के घरों का……कहाँ बरसात समझे है
काम जिसका हो सताना कहाँ जज़्बात समझे है
टूट पड़ती थीं घटाएं जिनकी आंखें देख कर
वो भरी बरसात में तरसे हैं पानी के लिए
नज़र ने नज़र से मुलाक़ात कर ली,
रहे दोनों खामोश पर बात करली,
मोहब्बत की फिजा को जब खुश पाया,
इन आंखों ने रो रो के बरसात कर ली
हमारे शहर आजाओ सदा बरसात रहती है
कहीं आंखें बरसती है कहीं बादल बरसते हैं
चाहते हो भीगना बरसात मे
तो मेरी इन आँखो मैं देखो
ये बरसात तो सब के लिए होती है
लेकिन ऐ मेरे दोस्त
ये आँखे सिर्फ़ तुम्हारे लिए रोती है
बता किस कोने में, सुखाऊँ तेरी यादें,
बरसात बाहर भी है, और भीतर भी है..