इन रिन्दों की खुशफहमी को हवा दे दे
इन रिन्दों की खुशफहमी को हवा दे दे,
इन्हें चाहे शराब न दे मगर शीशा दे दे।
हमे आदत हैं तेरी निग़ाहों से पीने की,
सब शराबियो को उठाके मैख़ाना दे दे!
गर तुझसे मुहब्बत करके गुनाह किया,
दूर ना जा मुझसे, मुझे कोई सजा दे दे!
कल आये थे दयारे- इश्क़ के सिपाही,
मज़ा आ जाए कोई नाम तुम्हारा दे दे!
अब तो इक आदत हैं अलम सहने की,
कहीं से आ ऐ! बेदर्द मुझे दर्द नया दे दे!
तेरी बाद जिंदगी मेरी ‘तनहा’ हो गयी,
लाकर महब्बत के वो पल दुबारा दे दे!
अमन के लिए तो हम हकदार है यहाँ,
वतन-ए-अमन को नाम हमारा दे दे!
-Azeem Tanha