Izhaar Hindi Shayari – वो सज़दा ही क्या….जिसमे सर
वो सज़दा ही क्या….जिसमे सर उठाने का होश रहे….!!
इज़हार ए इश्क़ का मजा तब…जब मैं बेचैन रहूँ और तू ख़ामोश रहे….!!
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वो सज़दा ही क्या….जिसमे सर उठाने का होश रहे….!!
इज़हार ए इश्क़ का मजा तब…जब मैं बेचैन रहूँ और तू ख़ामोश रहे….!!
एक मैं था जो लफ्ज़ ढूंढ ढूंढ कर थक गया…
वो ख़रीदे हुए फूल दे कर “मोहब्बत” का इज़हार कर गए ,…..
यह और बात है कि इज़हार नहीं होता
वरना प्यार तुमसे बे शुमार करते हैं
उसको चाहा पर इज़हार करना नहीं आया;
कट गई उम्र हमें प्यार करना नहीं आया;
उसने कुछ माँगा भी तो मांगी जुदाई;
और हमें इंकार करना नहीं आया।
तेरी आवाज़ से प्यार है हमें,
इतना इज़हार हम कर नहीं सकते..
हमारे लिए तू उस रब की तरह है,
जिसका दीदार हम कर नहीं सकते…..।
हक़ीकत कह नहीं पाती ज़ुबाँ मेरी
सहमा रहता हूँ मैं वक्त की मार से
नहीं पढ़ने देता मैं ख़ुद की नज़रें
डरा रहता हूँ मैं उनके इज़हार से..
खामोश ही रह… इज़हार न कर ख्यालात का…….
जाने कौन क्या मतलब निकाल ले तेरी किसी बात का….!!
इज़हार-ए-मोहब्बत पे अजब हाल है उन का
आँखें तो रज़ा-मंद हैं, लब सोच रहे हैं
कोई ख्वाइश कोई इज़हार बाकी है, तुझसे जुडा इंतज़ार बाकी है
सांसो का छूट जाना तो मुक़द्दर है मगर, मेरा ज़िन्दगी से कुछ करार बाकी है
एक शाम नजर जो उनसे मिली,
तो होटों से इज़हार ए इश्क़ हो गया.!
फिर जो शर्मा के गर्दन झुका दी,
तो मुझे भी क़िस्मत यकीं हो गया.!