Inkaar Hindi Shayari – ज़ख़्म इतने गहरे हैंइज़हार क्या
ज़ख़्म इतने गहरे हैं,इज़हार क्या करें
हम खुद निशाना बने,इंकार क्या करें
हमने आँखों के दरवाज़े खुले रखे हैं
अब इससे ज़्यादा इंतज़ार क्या करे
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ज़ख़्म इतने गहरे हैं,इज़हार क्या करें
हम खुद निशाना बने,इंकार क्या करें
हमने आँखों के दरवाज़े खुले रखे हैं
अब इससे ज़्यादा इंतज़ार क्या करे
तुझे चाहा भी तो इजहार न कर सके
कट गई उम्र किसी से प्यार न कर सके
उसने मागा भी तो अपनी जुदाई मागी
और हम थे की इनकार न कर सके
डर सा लगता है उससे अपने लिये वक्त माँगने पर
कहीं उसके पास इनकार के लिये भी वक्त ना हो.
जी भर गया है तो बता दो
हमें इनकार पसंद है इंतजार नहीं…!
बेवज़ह तक़रार की तूने इंकार करने के वास्ते
अब नही परेशां हम के तन्हाई से दिल लगा चुके…!!!
किस्मत पर एतबार किसको है
मिल जाए खुशी इनकार किसको है
कुछ मजबूरियाँ होती है यार जिन्दगी में
वर्ना जुदाई से प्यार किसको
लोग पढ़ ही लेंगें आपकी आँखों में मेरी मोहब्बत;
चाहे कर दो इनकार यूँ ही अनजान होकर।
अच्छा होगा
कि तुम “खामोश”ही रहो…..
तेरा ‘इनकार”
मुझे “बेकरार” कर देगा…….!!
जब मुस्कराती हूँ तो वो प्यार बना देता है.
वो मेरी बातो को किताब बना देता है.
बातो मैं उसके जादू है
वो मेरे इनकार को इकरार बना देता है
मोहब्बत की मशाल से इनकार इज़हार मे बदल गए
वो भी निखर निखर गया हम भी निखर निखर गए