Jism Hindi Shayari – मेरे जिस्म से उसकी खुशबु
मेरे जिस्म से उसकी खुशबु आज भी आती है,
मैंने फुरसत में कभी सीने से लगाया था उसे
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मेरे जिस्म से उसकी खुशबु आज भी आती है,
मैंने फुरसत में कभी सीने से लगाया था उसे
जिस्म को जिस्म की ही तलाश है
इसे इश्क न कहो ये महज प्यास है
ख़ाक थी और जिस्म ओ जाँ कहते रहे
चंद ईंटों को मकाँ कहते रहे
तमाम जिस्म को आँखें बना के राह तको
तमाम खेल मोहब्बत में इंतिज़ार का है
जला है जिस्म जहाँ दिल भी जल गया होगा
कुरेदते हो जो अब राख ज़ुस्तज़ु क्या है।।
जिस्म पर जो निसान है जनाब,
वो तो सारे बचपन के है,
बाद के तो सारे दिल पर लगे है
कुछ इस तरह से बसे हो तुम मेरे अहसासों में
जैसे धड़कन दिल में, मछली पानी में, रूह जिस्म में…
जिस्म की दरारों से रूह नज़र आने लगी है…
बहुत अंदर तक तोड़ गया है इश्क़ तुम्हारा।।
तमन्ना तेरे जिस्म की होती
तो छीन लेते दुनिया से
इश्क तेरी रूह से है इसलिए
खुदा से मांगते हैं तुझे
रात को वो थकन से लड़ता है
जिस्म दिन भर जेहन से लड़ता है