Ruthna Hindi Shayari – जब पल में रूठना और
जब पल में रूठना और पल में मनाना था
दोस्ती का खुबसूरत वो ज़माना था,
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जब पल में रूठना और पल में मनाना था
दोस्ती का खुबसूरत वो ज़माना था,
मैं हुस्न हूँ….
मेरा रूठना है लाज़मी
तुम इश्क़ हो…..ज़रा अदब में रहा करो …
मोहब्बत का कोई कुसूर नहीं उसे तो मुझसे रूठना ही था,
दिल मेरा शीशे सा साफ़ और शीशे का अंजाम तो टूटना ही था !!
तेरा बार बार रूठना मुझे अच्छा लगता है…..।
पर क्या तुझे भी मेरा मनाना अच्छा लगता है।।
रूठना भी है हसीनों की अदा में शामिल
आप का काम मनाना है मनाते रहिए
जाने कब जाएगी ये आदत मेरी
रूठना तुमसे और औरों से उलझते रहना….
पहले इस में इक अदा थी नाज़ था अंदाज़ था
रूठना अब तो तिरी आदत में शामिल हो गया
रोयेगी ये आँख मुस्कुराने के बाद,
आएगी रात दिन ढल जाने के बाद,
कभी रूठना ना मेरे दोस्त,
शायद ये जिंदगी ना रहे तेरे रूठ जाने के बाद |
रूठना मत कभी हमसे.!
मना नही पायेंगे.!
तेरी वो कीमत है मेरी जिंदगी में.!
कि शायद हम अदा नहीं कर पायेंगे.!
सिरहाने बैठ के तेरा बालों को सहलाना
खुद ही रूठना फिर खुद को ही बहलाना