Very Funny Story In Hindi Font – एक खुबसूरत हसीना रास्ते मे आपको लिफ्ट मांगती है

एक खुबसूरत हसीना रास्ते मे आपको लिफ्ट मांगती है . और आगे कुच्छ दूर जाने के बाद उसे चक्कर आने लगते है तो आप उसे हॉस्पिटल ले जाते है
डॉक्टर खुशीसे आपको कहता है ” बधाई हो आप बाप बनने वाले है ”
बस आपको टेंशन आता है
फिर आप बोलते हो ” लेकिन वो बच्चा तो मेरा नहीं है ”
लड़की बोलती है ” नहीं यही मेरे होनेवाले बच्चे का बाप है ”
आपको और टेंशन आता है
पुलिस आती है और आपका डी एन ऐ टेस्ट होता है. रिपोर्ट आता है. रिपोर्ट के मुताबिक ”आप कभीभी बाप बन नहीं सकते है ”
आपको और ज्यादा टेंशन आता है
किसी तरह भगवान का शुक्रिया अदा कर आप घर वापस लौटते है .
फिर आप सोचते है ” घर मे मुझे दो बच्चे है … अगर मै बाप नहीं बन सकता तो वे फिर किसके है? ”
अब ये है असली टेंशन वाली बात …

Funny Story In Hindi – Ek buddha aadmi bus me kahi jaa rahaa tha

Ek buddha aadmi bus me kahi jaa rahaa tha ki tabhi kisi jebkatre ne uska batua saaf kar diya. Jab buddhe ko iska ahsaas hua to wah robdaar aawaaz mein dahaadte huye bola – “Jis kisi ne bhi mera batua churaya hai chupchaap waapas kar de warna … aaj fir se wahi hoga jo san 80 me hua thaa !” Koi bhi sawaari kuchh bhi nahi boli magar buddhe ne haar nahi maani. Woh bus mein ghoom-ghoom kar baar-baar yahi kahta raha – “chupchap mera batua waapas kar do warna … aaj fir wahi hokar rahega jo san 80 me hua tha !” Akhirkar bus jaise hi ek jagah ruki toh ek ladka uska batua fenk kar bus se utar kar bhaag gaya. Buddhe ne chupchap apna batua uthaya aur apni seat par baith gaya. Ek bachche se nahi raha gaya. usne poochha – “aakhir san 80 me kya hua tha ?” Buddha bola – “san 80 me isi tarah kisi ne bus mein mera batua chura liya tha…. aur fir mujhe paidal hi ghar waapas jaana pada tha ….”

Mulla Nasruddin Short Hindi Story – मुल्ला नसीरूद्दीन की हाजिर जवाबी

एक बार मुल्ला नसीरूद्दीन ने एक आदमी से कुछ उधार लिया था। मुल्ला समय पर उधार चुका नहीं पाया और उस आदमी ने इसकी शिकायत बादशाह से कर दी। बादशाह ने मुल्ला को दरबार में बुलाया।

मुल्ला बेफिक्री के साथ दरबार पहुंचा। मुल्ला के दरबार पहुंचते ही वह आदमी बोला – बादशाह सलामत, मुल्ला ने बहुत महीने पहले मुझसे 500 दीनार बतौर कर्ज लिए थे और अब तक नहीं लौटाए। मेरी आपसे दरख्वास्त है कि बिना किसी देरी के मुझे मेरा उधार वापस दिलाया जाए।

यह सुनने के बाद मुल्ला ने जवाब में कहा – हुजूर, मैंने इनसे पैसे लिए थे मैं यह बात मानता हूं और मैं उधार चुकाने का इरादा भी रखता हूं। अगर जरूरत पड़ी तो मैं अपनी गाय और घोड़ा दोनों बेचकर भी इनका उधार चुकाऊंगा।

तभी वह आदमी बोला – यह झूठ कहता है हुजूर इसके पास न तो कोई गाय है और न ही कोई घोड़ा। अरे इसके पास ना तो खाने को है और न ही एक फूटी कौड़ी है।

इतना सुनते ही मुल्ला नसीरूद्दीन बोला – जहांपनाह! जब यह जानता है कि मेरी हालत इतनी खराब है, तो मैं ऐसे में जल्दी इसका उधार कैसे चुका सकता हूं। जब मेरे पास खाने को ही नहीं है तो मैं उधार दूंगा कहां से।

बादशाह ने यह सुना तो मामला रफा-दफा कर दिया। अपनी हाजिर जवाबी से मुल्ला नसीरूद्दीन एक बार फिर बच निकलने में कामयाब हो गया।


Mulla Nasruddin Short Hindi Story – मुल्ला नसीरुद्दीन और पडोसी

मुल्ला नसीरुद्दीन एक दिन अपने घर के बाहर खड़ा था तो उसका एक पडोसी उसके पास अपनी समस्या को लेकर आता है और मुल्ला से कहता है मुल्ला मेरे साथ एक बहुत बड़ी समस्या है और तुम एक बुद्धिमान व्यक्ति हो इसलिए मुझे लगता है तुम मेरी समस्या का समाधान कर सकते हो |

मुल्ला ने उस व्यक्ति को कहा ‘बताओ तुम्हारी समस्या क्या है ‘? उस व्यक्ति ने कहा मेरे घर में जगह की बहुत समस्या है और मैं और मेरी पत्नी तीन बच्चो के साथ मेरी सास भी है जिसकी वजह से हम सब बेहद परेशान है | मुल्ला ने कोई बात नहीं चिंता मत करो एक बात बताओ क्या तुम्हारे घर में मुर्गे है |

‘हाँ है ‘ उस व्यक्ति ने जवाब दिया तो मुल्ला ने कहा उन्हें भी अपने रहने वाली जगह में छोड़ दो इस पर उस व्यक्ति ने मुल्ला से कहा कि पहले से ही मेरे घर में बहुत कम जगह है इसलिए ऐसा करने से और भी कम हो जाएगी | “तुम्हे मेरी सलाह से कोई समस्या है तो मत मानो ” मुल्ला ने कहा |

वह व्यक्ति जानता था मुल्ला एक बुद्धिमान व्यक्ति है तो कुछ न कुछ तो कारण है इसलिए ऐसा करने को कहा रहा है इस पर उस व्यक्ति ने मुल्ला के कहे अनुसार वो कर दिया | मुल्ला ने अगले दिन आने को कहा |

अगले दिन वो व्यक्ति मुल्ला के पास आया और कहने लगा कुछ भी फर्क नहीं पड़ा उलटे हालत और बुरे हो गये है अब और भी जगह कम हो गयी है तो मुल्ला ने उसे कहा कि अब एक काम और करो अपने गधो को भी घर में खुला छोड़ दो वह आदमी परेशान हुआ लेकिन उसने वो भी किया और अगले दिन आकर कहा हालत और भी बुरे हो गया है अब तो बिलकुल भी जगह नहीं बची है इस पर मुल्ला ने कहा एक आखिरी काम और करो फिर तुम्हारी समस्या खत्म हो जाएगी और उसने बकरियों को भी बाड़े से लाकर खुला छोड़ने को कहा तुम उस आदमी को बड़ा गुस्सा आया और कहने लगा कि ऐसा कैसे हो सकता है तो भी मुल्ला के कहने पर उसने किया |

अगले दिन वो आदमी मुल्ला को बुरा भला कहने को आया तो मुल्ला ने उस से कहा अभी एक आखिरी काम करो तुम सब को घर से बाहर बड़े में जानवरों को बांध दो और कल आकर मुझे बताना कि घर के हालत कैसे है इस पर वह व्यक्ति चला गया |

अगले दिन वो बड़ा ही खुश होकर आया कि मुल्ला हालाँकि जगह तो उतनी है लेकिन फिर भी ऐसा लगता है कि अब घर खुला खुला सा हो गया है और हम अब सही से रह सकते है | तुम्हारे प्लान ने बहुत सही से काम किया है अब मैं समझ गया और वह व्यक्ति खुश होकर वंहा से चला गया |

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Mulla Nasruddin Short Hindi Story – क्या गारंटी है ?

क्या गारंटी है – एक बार एक देश के राजा ने मुल्ला नसीरूदीन को बुलाया और उस से पूछा कि मुल्ला तुम्हारे बारे में मैंने बहुत सुना है कि तुम बहुत चालक हो और बुद्दिमान भी इसलिए क्या तुम एक काम कर सकते हो जो मैं तुमसे कहने वाला हूँ |

इस पर मुल्ला ने कहा मैं कुछ भी कर सकता हूँ बस आप एक बार आज्ञा दे | इस पर राजा ने कहा क्या तुम अपने इस प्रिय गधे को पढना सिखा सकते हो इस पर मुल्ला ने कहा हाँ क्यों नहीं मैं इसे आराम से सिखा सकता हूँ | इस पर राजा ने कहा ‘बकवास मत करो ‘ क्या गारंटी है तुम ऐसा कर सकते हो |

मुल्ला ने जवाब दिया कि एक काम कीजिये आप मुझे पचास हजार स्वर्ण मुद्राएँ दीजिये उसके बाद मैं गारंटी लेता हूँ कि आठ साल के अंदर मैं इस गधे को पढना सिखा सकता हूँ इस पर राजा ने कहा अगर तुम ऐसा कर पाने में सफल नहीं होते हो तो मैं तुम्हे जेल में डाल दूंगा और तुम्हे रोज टॉर्चर किया जायेगा | मुल्ला ने हामी भर ली और वंहा से चला गया |

घर आने के बाद मुल्ला से उसके एक दोस्त ने कहा ‘ मुल्ला तुमने ये क्या किया ?’ सब जानते है तुम ऐसा नहीं कर सकते फिर भी तुमने राजा को यह वचन दे दिया है क्या तुम्हे जेल जाने से डर नहीं लगता मुल्ला ने सहज भाव से उत्तर दिया तुम इतना ज्यादा मत सोचो क्योंकि आठ साल में तो या तो हमारा राजा नहीं रहेगा और हो सकता है मेरा गधा भी तब तक नहीं रहे लेकिन फिर भी अगर ऐसा होता है कि सात साल तक दोनों में से कोई भी नहीं जाता तो मेरे पास पूरा एक साल है कि मैं सोच सकता हूँ राजा की सज़ा से कैसे बचा जा सकता है |

मुल्ला नसीरूदीन की ये कहानी एक मजाक से अधिक हमे यही सिखाती है कि बहुत अधिक भविष्य के बारे में चिंता नहीं करनी चाहिए और वर्तमान में जीना चाहिए |

Mulla Nasruddin Short Hindi Story – अंगूठी और मुल्ला नसरुद्दीन

एक बार मुल्ला नसरुद्दीन के एक मित्र जो कि व्यापार करने के लिए किसी दूसरे देश को जा रहा था उसने मुल्ला से कहा कि क्यों नहीं तुम अपनी ये अंगूठी मुझे दे देते ताकि जब तक मैं तुमसे दूर रहूँगा तो जब जब इस अंगूठी को देखूंगा मुझे तुम्हारी याद आयेगी ।
इस पर मुल्ला ने कहा देखो अगर मैं तुम्हे अंगूठी देता हूँ और तुम इसे खो दोगे तो निश्चित ही मुझे भूल जाओगे और क्या ये अच्छा नहीं है मैं तुम्हे मना कर देता हूँ और तब जब भी तुम अपनी ऊंगली को खाली खाली देखोगे तो तुम्हे याद आयेगा कि तुमने मुझसे अंगूठी मांगी थी लेकिन मैंने तुम्हे दी नहीं थी इसलिए तुम पहले की अपेक्षा कंही अधिक मुझे याद रख पाओगे |


Mulla Nasruddin Short Hindi Story – मुल्ला नसरुद्दीन और एक फ़कीर

एक बार मुल्ला नसरुदीन के गाँव के बाहर एक फ़कीर आया जिसने ये दावा किया कि वो किसी भी अनपढ़ को अपनी विद्या से कुछ ही पलों में साक्षर कर सकता है जिसके बाद वो कोई भी किताब या साहित्य को पढ़ सकता है |

मुल्ला ने ये सुन तो दौड़ा दौड़ा वंहा पहुंचा और फ़कीर से बोला कि क्या आप मुझे साक्षर कर सकते है | इस पर फ़कीर ने कहा हाँ क्यों नहीं इधर आओ | मुल्ला पास गया | फ़कीर ने मुल्ला के सर पर हाथ रखा और कुछ देर बाद उस से बोला कि अब जाओ और कुछ पढो |

मुल्ला अपने गाँव लौटा और आधे घंटे बाद वापिस हांफता हुआ आया | क्या हुआ इतने बदहवास क्यों हो और क्या तुम अब पढ़ सकते हो ? लोग पूछने लगे तो मुल्ला ने जवाब दिया “हाँ मैं पढ़ सकता हूँ पर मैं ये बताने नहीं आया हूँ मुझे ये बताओ वो ढोंगी फ़कीर कंहा है ?”

लोग कहने लगे फ़कीर ने तुम्हे कुछ ही मिनटों में पढने लायक बना दिया और तुम उन्ही को ढोंगी कह रहे हो शायद तुम पागल हो गये तो तो मुल्ला ने जवाब दिया मैंने जाते ही जो किताब पढ़ी उसमे लिखा हुआ है “सभी फ़कीर ढोंगी और बदमाश होते है ” इसलिए मैं उस फ़कीर को ढूंढ रहा हूँ | सब लोगो ने माथा पीट लिया |

Mulla Nasruddin Short Hindi Story – मुल्ला झील में

एक दिन मुल्ला नसीरुद्दीन अपने दोस्त के साथ कंही जा रहा था तो जब वो एक झील के किनारे से गुजर रहे होते है मुल्ला का पैर फिसल जाता है और वो झील में गिरते गिरते बचा क्योंकि उसके आगे आगे चल रहे उसके दोस्त ने उसे गिरने से बचा लिया |

वो दिन तो ठीक लेकिन उसके बाद जब वो आपस में मिलते तो इस बात का जिक्र उसका दोस्त जरुर कर देता जिसकी वजह से मुल्ला नसीरुद्दीन परेशान हो गया और सोचने लगा इस अहसान से मुक्ति कैसे प्राप्त की जाये | इस पर मुल्ला को एक विचार आया |

मुल्ला एक दिन अपने दोस्त को उसी झील पर ले गया और वंहा ले जाकर खुद समेत कपड़ो और जूतों के उस झील में खुद गया और जब वह पूरी तरह भीग गया तो अपने दोस्त को चिल्लाकर कहने लगा देखो अगर तुमने उस दिन मुझे नहीं बचाया होता झील में गिरने से तो अधिक से अधिक मेरी ये हालत हो सकती थी | इसलिए भगवान के लिए अब उस बारे में बात करना बंद करो उस बारे में याद दिलाना बंद कर दो |

इस कहानी के द्वारा मुल्ला नसीरुद्दीन के हास्यास्पद कृत्य से हम ये समझ सकते है कि जिन्दगी में बहुत से ऐसे सौहार्द पूर्ण काम होते है जो हम किसी के लिए करते है या कोई हमारे लिए करता है तो इसका मतलब ये नहीं है हम उसके बारे में अहसान की तरह उसे जताए क्योंकि ऐसे में आप चाहे कितना भी कुछ अच्छा कर लें उसका महत्व खत्म हो जाती है |

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Mulla Nasruddin Short Hindi Story – मुल्ला नसरुद्दीन की नई पत्नी और कोर्ट

मुल्ला नसरुद्दीन की पहली पत्नी के गुजर जाने के बाद उसने दूसरी शादी की । एक दिन वो दोनों पति पत्नी सो रहे थे कि उसकी नई पत्नी ने मुल्ला नसरुद्दीन से कहा कि “क्या तुम जानते हो मेरा पहले वाला पति बहुत आदर्श पति था ।”

मुल्ला नसरुद्दीन से ये सहा नहीं गया उसने जवाब दिया ” मेरी पहले वाली पत्नी तुमसे अधिक सुंदर और भली थी ।”

मुल्ला नसरुद्दीन की पत्नी ने जवाब दिया “मेरे पहले पति का कपडे पहनने का सलीका बहुत सही था ।”

मुल्ला बोला मेरी पहले वाली पत्नी भी बहुत कमाल का खाना बनाती थी ।

मुल्ला नसरुद्दीन की पत्नी बोली मेरे पहले वाला पति गणित में बहुत तेज था ।

मुल्ला बोला मेरी पत्नी भी गजब की प्रबंधक थी और घर के सारे काम काज बड़े अच्छे से सम्भाल लेती थी और उसके होते मुझे लेशमात्र भी किसी चीज़ के विषय में कभी सोचना नहीं पड़ा ।

इस प्रकार एक दूसरे के पिछले साथी के बारे में उनका विवाद काफी बढ़ गया तो मुल्ला ने अपनी पत्नी को धक्का देकर बेड से गिरा दिया और उसे बहुत चोटें आई ।

इस पर मुल्ला नसरुद्दीन की पत्नी उसे गाँव के पंचायत में ले गयी और जज से न्याय की गुहार की । तो जज ने दोनों को अपना अपना पक्ष रखने को कहा । मुल्ला की पत्नी ने उसे पूरी बात बताई तो जज अब मुल्ला नसरुद्दीन की और मुखातिब हुआ और बोला कि बताओ अब इस विषय में तुम्हे क्या कहना है ।

मुल्ला ने बड़े धीरज से जवाब दिया हम दोनों बड़े आराम से तब तक बेड पर सो रहे थे जब तक कि इसका पहले वाला पति और मेरी पहले वाली पत्नी बीच में नहीं आ गयी । फिर बेड हम दोनों के लिए छोटा पड़ गया और इसने नीचे गिर कर चोट खायी ।


Mulla Nasruddin Short Hindi Story – ख़ुशी की तलाश और मुल्ला नसरुद्दीन

एक दिन मुल्ला नसरुद्दीन गाँव के बाहर बैठा हुआ था कि किसी दूसरे शहर से एक आदमी से उसकी भेंट हुई ।मुल्ला नसरुद्दीन ने उसके आने का प्रयोजन पूछा । कुछ देर वार्तालाप के बाद उस व्यक्ति ने मुल्ला नसरुद्दीन से कहा कि मेरे पास सब कुछ है “पैसा धन दौलत और खुशियों के सारे साधन भी” लेकिन फिर भी मैं खुश नहीं हूँ मैं अक्सर ख़ुशी की तलाश में निकल पड़ता हूँ ।

तो मुल्ला ने उस से सवाल किया तो क्या वो तुम्हे मिली । नहीं ! उस व्यक्ति ने मुल्ला को जवाब दिया ।

इस पर मुल्ला नसरुद्दीन ने बातों ही बातों में उसके हाथ से उसके बैग को छीना और वंहा से नो दो ग्यारह हो गया वो आदमी मुल्ला के पीछे जब तक दौड़ा जब तक कि मुल्ला नसरुद्दीन उसकी आँखों से ओझल नहीं हो गया ।

मुल्ला नसरुद्दीन ने थोडा आगे जाकर बैग को सड़क पर रखा जन्हा से वो उस आदमी को दिखाई दे सके और खुद एक पेड़ के नीचे छुप कर बैठ गया । थोड़े देर बाद उस व्यक्ति ने उसे ढूंढ लिया और उसे पीटने ही वाला था कि मुल्ला नसरुद्दीन ने उस बैग की तरफ उसे इशारा किया तो उस आदमी के चेहरे पर मुस्कान फ़ैल गयी । और बैग मिल जाने की ख़ुशी में वो खुशी से नाचने लगा ।

कुछ देर बाद उस व्यक्ति ने मुल्ला नसरुद्दीन से ऐसा करने की वजह पूछी तो मुल्ला नसरुद्दीन ने उसे जवाब दिया यह एक तरीका था तुम्हारी खुशियों से मुलाकात करवाने का जबकि तुम तो कह रहे थे तुम्हे आज तक वो आनंद नहीं मिला जो तुम चाहते थे जबकि अभी तो तुम ख़ुशी से नाच रहे थे ।

इस पर उस व्यक्ति को अहसास हुआ कि सच में खुशिया तो हमारे आस पास ही है हम केवल फालतू की भागदौड़ में जिन्दगी को खो देते है जबकि अगर हम अपने आस पास ही खुशियों की तलाश करे तो जान जायेंगे कि वो हमसे दूर कभी थी ही नहीं ।

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