Zarurat Hindi Shayari – यूँ माना ज़ि‍न्दगी है चार

यूँ माना ज़ि‍न्दगी है चार दिन की
बहुत होते हैं यारो चार दिन भी

ख़ुदा को पा गया वायज़ मगर है
ज़रूरत आदमी को आदमी की


Zarurat Hindi Shayari – जैसे मुमकिन हो इन अश्कों

जैसे मुमकिन हो इन अश्कों को बचाओ ‘तारिक़’
शाम आई तो चराग़ों की ज़रूरत होगी


Zarurat Hindi Shayari – तेरे हुस्न को नकाब की

तेरे हुस्न को नकाब की जरुरत ही क्या है
न जाने कौन रहता होगा होश में तुझे देखने के बाद


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