Zarurat Hindi Shayari – मैं याद तो हूँ उसे
मैं याद तो हूँ उसे, पर ज़रूरत के हिसाब से।
मेरी हैसियत, कुछ नमक जैसी है।
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मैं याद तो हूँ उसे, पर ज़रूरत के हिसाब से।
मेरी हैसियत, कुछ नमक जैसी है।
सात संदूकों में भरकर दफन कर दो नफ़रतें
आज इंसान को मोहब्बत की ज़रूरत है बहुत।
यूँ माना ज़िन्दगी है चार दिन की
बहुत होते हैं यारो चार दिन भी
ख़ुदा को पा गया वायज़ मगर है
ज़रूरत आदमी को आदमी की
ज़रूरत दिन निकलते ही निकल पड़ती है डयूटी पर
बदन हर शाम ये कहता है अब हड़ताल हो जाए
उसने मेरा हाथ थामा… और पुछा…..”मोहब्बत या ज़रूरत” ??
मैंने उसकी उँगलियों में अपनी उँगलियाँ फसाई और बोली…”आदत”
जैसे मुमकिन हो इन अश्कों को बचाओ ‘तारिक़’
शाम आई तो चराग़ों की ज़रूरत होगी
तेरी चाहत ने निखारा है इस कदर मुझको
आइना कहता है तुम्हें मेरी ज़रूरत क्या है
हुआ था शोर पिछली रात को……दो “चाँद” निकले हैं,
बताओ क्या ज़रूरत थीं “तुम्हे” छत पर टहलने की
तेरे हुस्न को नकाब की जरुरत ही क्या है
न जाने कौन रहता होगा होश में तुझे देखने के बाद
माचिस की ज़रूरत यहाँ नहीं पड़ती…
यहाँ आदमी आदमी से जलता है…!!